साल 2020 महज अभी आधा ही बीता है और महामारी से लेकर भूकंप और तूफान सारी आपदाएं दस्तक दे चुकीं हैं! एक तरफ जहां कोरोना माहामारी अपने चरम पहुंची हुई हैं! तो वही amphan और निसर्ग ने भी अपना कहर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और दिल्ली एनसीआर पिछले डेढ़ महीने में 10 बार से ज्यादा भूकंप आ चुकें हैं, ऐसे में लोग सोच रहे हैं कि इससे ज्यादा क्या ही बुरा हो सकता है
लेकिन अब एक और नई खबर सामने आई जिसने सभी को चौंका कर रख दिया महाराष्ट्र के 1 जिले में खारे पानी वाले लोनार झील का अचानक कि रंग लाल हो गया आमतौर पर नीले और हरे रंग के दिखने वाली पानी का रंग अचानक से लाल रंग होने से जियोलॉजिस्ट और साइंटिस्ट सभी हैरान है
उल्का पिंड के टकराने से बनी यह झील
वैज्ञानिकों के मुताबिक 35 से 50000 साल पहले एक आकाशीय उल्का पिंड की टक्कर से इस झील का निर्माण हुआ था इसका खारा पानी यह दर्शाता है कि यहां कभी समुद्र था शोध में यह भी दावा किया जाता है कि करीब 10 लाख टन वजनी उल्का पिंड के टकराने से यह झील बनी थी
इतना ही नहीं वैज्ञानिकों की मानें तो पृथ्वी से टकराने के बाद उल्का पिंड तीन हिस्सों में टूट चुका था उसने लोनार झील के अलावा अन्य दो जगहों पर भी झील बनाई हालांकि अन्य दो झील पूरी तरह से सूख चुकी है लेकिन लोनार झील में आज भी पानी मौजूद है ऐसे में इस झील में देश-विदेश के कई साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं
अपना रूप रंग बदलती रहती है यह झील
हजारों साल पुरानी यह झील करीब 1.8 किलोमीटर के व्यास में फैली हुई है और करीब 500 मीटर गहरी है वहीं इस झील पर हुए कई शोधों की माने तो पानी में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं!
झील के रंग पर वैज्ञानिकों का मत
लोनार झील पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार
लॉकडाउन की वजह से जलवायु में परिवर्तन आया है बारिश नहीं होने की वजह से इसका पानी सूख कर कम हुआ है हो सकता है कि इनमें से किसी कारण इसके रंग में बदलाव हो रहा है
वहीं दूसरे वैज्ञानिक के अनुसार खारे पानी में हेलो बैक्टीरिया और डुओनिला फंगस की बड़ी वृद्धि के कारण कैरोटीनॉईड नामक पिगमेंट का विस्तार होता है जिसके कारण पानी लाल हो सकता हैं
इसके बाद से वैज्ञानिक अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि अभी इसके पानी का रंग लाल क्यों हुआ
2006 मे भी हुई थी हलचल
2006 में भी लोनार झील में कुछ अजीब देखने को मिला था झील का पानी अचानक भाप बनकर उड़ने लगा
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